Tuesday 9 April 2024

आपस का प्यार

बहुत दुख होता है 
माँ को बुढापे की ओर अग्रसर होते देखना
घर की धुरी जो होती है
उसे एक शिथिल देखना
बच्चों की उम्मीदें तो खत्म नहीं होती
जो उनका जहां है वह ऐसे ??
कभी घुटनों में नी कैप
कभी गले में पट्टा 
कभी आयोडेक्स की खुशबू 
कभी गर्म पानी की थैली 
वह इधर-उधर डोलती माँ 
अब जल्दी से उठने में भी असमर्थ 
माँ भी कहाँ दिखाती है
लेकिन शरीर तो गवाही देता है
चटपटा खाने वाली अब हजम होना मुश्किल 
तब माॅ खिलाती थी 
अब बच्चे जिद करते है खिलाने की
कैसे खाएं 
अब न वह , वह रही
न बच्चे , बच्चे रहें 
अब वह बूढी और बच्चे बडे 
हाॅ दोनों का मन स्वीकार करने को तैयार नहीं 
बच्चों को माॅ भी पहले वाली ही लगती है
माँ को भी बच्चे अभी भी बच्चे लगते हैं 
भले वह सुने नहीं माॅ बताना छोड़ती नहीं 
बच्चों को सुनना गंवारा नहीं 
अब वह सिखाते हैं और वे सही भी होते हैं 
नयी पीढ़ी जो हैं एक कदम आगे ही रहती है
उम्र का फासला भले बढ जाएं 
दिल का फासला कायम रहें 
 एक ही चीज नहीं बदलती 
वह है आपस का प्यार 



No comments:

Post a Comment