Tuesday 16 April 2024

देखा था ख्वाब

कभी हम देखते थे ख्वाब बडे बडे
जिंदगी ने ऐसा धकियाया 
सब रह गए धरे के धरे 
जब रूबरू हुए उससे 
समझ आया 
सब वैसा नहीं होता जैसा हमने चाहा 
ऐसा नहीं कि ख्वाब देखना बंद कर दिया
नहीं जनाब 
इतनी जल्दी कहाँ हार मानेंगे 
कभी अपने  लिए देखा था
आज अपनों के लिए देख रहे हैं 
न रूके हैं न थमे हैं 
अभी भी दो दो हाथ करने में लगे हैं 
चलते रहो चलते रहो
हमारे न सही अपनों के ही सही
उनमें ही हम सुकून पा लेंगे 
एक ही जिंदगी थोड़ी ही है हमारी 
ना जाने कितनी साथ लिए चलते हैं 
ख्वाब तो अभी भी हैं और रहेंगे भी 

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