Friday 18 September 2015

त्योहारों में जुए और शराब का चलन उचित नहीं

दीवाली के त्योहार में शराब और जुए का चलन आम बात है गरीब तो और भी बरबाद हो जाते हैं सस्ती शराब की लालच में हर नये साल पर ऐसी घटनाएं देखने और सुनने को मिलती है ऐसी ही एक शराबी की पत्नी की व्यथा     जब वो आता था घर ,नशे में धुत्त ,मारना पीटना गाली
पर वह मेरा तथा बच्चों का सहारा भी था
हमारा घर चलानेवाला मेरे बच्चो का पिता
निशिंचत होकर हम रहते थे ,घर में दो जवान होती लडकियॉ पर क्या मजाल कि कोई उन्हे ऑख उठाकर भी देख ले
पेट भर खाना मिलता था किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नही पडती थी
थकान मिटाने के लिए दिन भर साफ सफाई का काम करने के बाद शराब जरूरत थी उसकी.
वह मंहगी नही सस्ती दस रूपये वाली शराब पीता था
ताकि हमारा जीवन यापन अच्छी तरह से हो
पर उसे नही मालूम था कि दस रूपये का सस्ता सौदा इतना मंहगा पडेगा कि जान ही ले लेंगा
अब तो चारो तरफ अंघेरा ही अंधेरा
एक विधवा और असहाय की जिन्दगी बिताने से तो अच्छा था शराबी की पत्नी
पर यह प्रश्न मैं पूछना चाहती है कि दोषी कौन
क्या उन्हे सजा मिलेगी
क्या जहरीली शराब बंद होगी

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