Sunday 2 October 2022

अकेले तो कुछ नहीं

सब कुछ मैंने किया है अपने दम पर अपने बल बूते पर
कोई भ्रम में न रहें 
आपके मुकाम हासिल करने के पीछे न जाने कितनों का हाथ है
जाने- अनजाने  , प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष 
महाभारत का युद्ध समाप्त हो गया था । अर्जुन अपने रथ पर सवार थे कृष्ण के साथ ।
खुशी तो थी ही , गर्वित भी थे 
विजय जो हासिल हुई थी 
पहुँचने पर कृष्ण ने कहा अर्जुन से रथ से उतरने के लिए 
अर्जुन ने कहा माधव पहले आप उतरिए 
युधिष्ठिर ने कहा कृष्ण कह रहे हैं तो उतर जाओ 
जरूर उसमें भी कोई बात होंगी 
न मानने पर अनमने से अर्जुन उतरे 
उसके बाद जैसे ही कृष्ण उतरे 
रथ धू धू कर जल उठा
अर्जुन ने पीछे मुड़कर देखा 
समझ गए माधव क्यों पहले मुझे उतार रहे थे
पूछा उन्होंने 
तब कृष्ण ने उत्तर दिया
इस रथ पर न जाने कितने भीषण तीर लगे हैं 
बडे बडे योद्धाओं के अस्र- शस्त्र का सामना कर रहा था
युद्ध के समय यह भी सब झेल रहा था
वह तो मैं था जो संभाल रहा था
अर्जुन की ऑखें खुल गई 
घमंड छू मंतर हो गया 
सबका साथ , सबका योगदान
न जाने कितनों का त्याग 
न जाने कितनों का आशीर्वाद 
महावीर भी थे
तुम्हारे अकेले के बस की बात नहीं थी
यही बात हम साधारण लोगों पर भी  लागू होती है ।

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