Friday 30 June 2023

आज का अखबार

पुराने अखबारों का ढेर जमा हो गया था
रद्दी वाले को फोन कर बुलाया 
हर महीने- दो महीने में आकर ले जाता है
अखबार को तौला तो पाँच किलों में कुछ ग्राम कम निकला 
कैसे किलों हैं 
बारह रूपये बताया 
अरे, अभी तो पिछले महीने पन्द्रह था 
भाभी जी भाव कम हो गया है 
वैसे भी आजकल अखबार पढता कौन है 
मोबाइल,  इंटरनेट पर सब उपलब्ध है
बात एकदम सही थी
हम तो पढ रहे हैं 
हमारी अगली पीढ़ी नहीं पढ रही है
किताबों  , अखबारों का प्रचलन कम होता जा रहा है
हमसे पहले वाली पीढ़ी तो एक - एक शब्द चाट डालती थी
डिक्शनरी लेकर बैठती थी 
हम मोबाइल के युग में जरूर है
पर वाचन से लगाव अभी भी है
टेलीविजन पर समाचार देखते हैं फिर भी अखबार पढते हैं 
नहीं पढें तो लगता है कुछ खो गया है
यह सोच ही रही थी 
कि एक बच्चे का वाक्य याद आ गया 
अखबार में तो बासी समाचार होता है
मोबाइल और टेलीविजन पर तो तुरंत की ताजा ताजा
बात तो यह भी सही
शायद यह वक्त का तकाजा है
समय भी नहीं है
वह घर जहाँ कभी अखबार के लिए झगड़े होते थे आज कोई उठाकर नहीं देखता
तब फिर यह भी क्या ब्लेक एंड व्हाइट टी वी की तरह हो जाएंगा 
प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ 
क्या टेलीविजन के चीखते - चिल्लाते पत्रकारों के हाथों खिलौना बन जाएंगा 
लाखों  - करोडों की ताकत और सत्ता पलट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला अखबार 
नेपोलियन की तरह अखबार का लोहा मानेगी क्या आगे वाली पीढ़ी 
प्रश्नचिन्ह है यह 
असतित्व खतरे में हैं 
अखबार , खबर ही नहीं छापता 
हमारे दिल के करीब हो जाता है
वर्षों पढा हुआ और घटनाएं याद रहती है
डर लगता है यह कहीं स्वयं एक घटना न बन जाएँ  । ।

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