Saturday 25 April 2015

"आप" का उद्देश्य "अपने आप " बनाना है।


किसान मर रहा था, नेता भाषण दे रहे थे,
इतना संवेदनहीन " आप " के लोग, इस पर भी राजनीति,
मौका ताड कर, गिरगिट की तरह रंग बदलना,

चेहरे के हाव - भाव और इशारे, बात को किस तरह बनाना, माफ़ी माँगना,
मगरमछ के आसु बहाना, इनसे ज्यादा अच्छी तरह से कौन जान सकता है,

यह तो साबित हो गया कि " आप " आम आदमी के लिए नहीं,
बल्कि  " अपने आप " के लिए हैं।


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