Saturday 30 June 2018

जीवन की सांझ

जब अपने ही अंजान लगने लगे
तब शांतिपूर्ण पीछे हट जाय
कदमों को रोक ले
मन को वश मे कर ले

जिस वक्त सारे नाते-रिश्ते खत्म होने लगे
सकारण या बिना कारण
उस समय प्रमाण मत मांगे
बस शांतिपूर्ण पीछे हट जाय

वह भी दौर था जब किसी पर अपना हक था
कभी किसी की नजरों के आगे हर वक्त
वही आज नजरअंदाज करें
अनदेखा करें
तब शांतिपूर्ण पीछे हट जाय

कभी -कभी हम व्यर्थ मे ही किसी मोह मे बंध जाते
अपने असतित्व को कायम रखने
पर वह भी समय जब हमारे असतित्व की परवाह नहीं
बेदखल कर दिया जाता
भावनाओं को खंडित होते देख
तब शांतिपूर्ण पीछे हट जाय

उत्तर की अपेक्षा मे क्यों प्रश्नों के दंश सहे
नहीं प्राप्त होगा उन प्रश्नों के उत्तर
तभी शांति पूर्ण पीछे हट जाय

जब सब कुछ समाप्त होता
तब नियति दान देती
एक अनमोल उपहार
उसका नाम है ःःःअनुभव
तभी तो जब सब कुछ खत्म होने लगे
शांतिपूर्ण पीछे हट जाय

नियति नटी का खेल है यह
उगते हुए का स्वागत
डूबते हुए को अनदेखा
यह समय है बड़ा बलवान
उदयाचल के सूर्य को सांझ
को अस्ताचल का रास्ता दिखा देता है
इसलिए समय को पहचानना है
चुपचाप शांतिपूर्ण कदम पीछे कर लेना है

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