Saturday 12 July 2014

NAARI KE PRATI BHARTIYA MAANSIKTA KAB BADLEGI ???

नारी को दुर्गा और लक्ष्मी का रूप माना जाता है। उसी भारत में यह नारियो के साथ क्या हो रहा है ? एक पंचायत के फरमान पर एक लड़की को बलात्कार की बलि पर चढ़ाया जाता है।  वह भी इकीसवीं सदी में। यह कहा का न्याय है ? अगर भाई ने गलती की तो उसकी सजा बहन को क्यों ? झारखण्ड की यह घटना शर्म-सार करने वाली है। लोगो की सोच कितनी घृणित हो गयी है। इससे तो कुछ डाकू अच्छे थे , जिनका सिद्धांत केवल लूट-पाट करना होता था।  घर की महिला के साथ कोई अभद्र व्यवहार करना नहीं।  गाँव या मोहल्ले की बहन-बेटियों की इज़्ज़त हमारी इज़्ज़त है।  यह भावना कहाँ गई ?

" मदर इंडिया " में नरगिस गाँव की बेटी की इज़्ज़त बचने के लिए अपने ही बेटे पर गोली चलाने में नहीं  हिचकती।  इस घटना में गाँव के लोग मूकदर्शक बने हुए है , किसी को भी विरोध करने की हिम्मत नहीं हुई। निर्भया काण्ड हो या बदायू की घटना , आज घर , पास-पड़ोस , सड़क कही पर भी महिलाये सुरक्षित नहीं है।  आये दिन दो चार घटना तो जरूर होती है।  एक निर्भया नहीं सैकड़ो निर्भया रोज शिकार हो रही है। 

इसका हल किस तरह से निकलेगा ? कब यह सब बंद होगा ? विचार करने की ज़रुरत है। प्रशाशन , पुलिस , एनजीओ , मानव अधिकार , नारी संघटनाए , संत - महात्मा , धरम गुरुओ सभी को आगे आ कर लोगो में स्त्री के प्रति दृष्टिकोण बदल ने की जरूरत है।  वह केवल भोग्या ही नहीं एक व्यक्ति भी है। सारे अधिकार उसके भी पास है।  बिना सोच में परिवर्तन लाये यह संभव नहीं है।  नहीं तो न जाने कितनी निर्भया हर रोज़ इन राक्षशों के हवस का शिकार होती रहेंगी।  सरकार को इनपर कठोर कदम उठाना चाहिए।  

न वकील , न कोर्ट , न तारीख , न फरियाद , तुरंत फैसला।  



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