Saturday 20 September 2014

विधवा भी मनुष्य है।

हेमा मालिनी का बयान वृन्दावन की विधवाओ को ले कर शर्मनाक तो है ही ह्रदयहीन भी है। 
दयनीय जीवन और भिख मांग कर जीवनयापन करने से अच्छा है उनको समाज में सम्मानित स्थान दिया जाये। 

उनको कार्य करना और रोजी - रोटी के लिए प्रेरित किया जाये। 
बंगाल, बिहार और दूसरे राज्य सरकार को भी अपने - अपने प्रान्त में उपेक्षित नारियाँ जैसे विधवाएं उनके लिए लोग कल्याणकारी योजनाये बनाये। 

इसके अलावा हमारे मंदिर के संचालक और पंडा - पुजारी भी इसमें योगदान करे ताकि विधवा को वृन्दावन और काशी न जाना पड़े। 
इस परंपरा को भी ख़त्म करना चहिये। 

विधवा भी मनुष्य है उसकी भी इच्छा - अनिच्छा हो सकती है। 
बरबस नारकीय जीवन जीने के लिए उनको बाध्य नहीं किया जाये, यह समाज और परिवार से भी मांग है। 
इक्सवी सदी में स्त्रियों की यह दशा शर्मनाक है। 




No comments:

Post a Comment