Sunday 16 October 2016

जीवन की दूसरी पारी भी खेलनी है

स्वयं को ही स्वयं का निरीक्षण करने का समय आ गया
स्वयं को तराजू में तौलने का समय आ गया
पचास तक क्या खास किया
कौन - सा रास्ता चुना
किसको क्या दिया ,किससे क्या लिया
तराजू का कौन- सा पलडा भारी हुआ
क्या खोया ,क्या पाया
कौन साथ रह गए ,कौन साथ छोड गए
स्वयं को स्वयं में खोजने का समय आ गया
आज वाद- विवाद को छोडने का समय आ गया
अब शब्दों को अर्थ देने नहीं ,मौन रहने का समय आ गया
अपने ही शरीर के अंग साथ छोडने लगे
अब तो जीवन चलाने का समय आ गया
निर्झर और इंद्रधनुष को देख चुके
अब तो क्षितिज को देखने का समय आ चुका
संसार नश्वर है यह जानने का समय आ गया
अब तो न जाने कितना समय बचा है
जो न कर चुके करने का समय आ गया
समझदार होने का समय आ गया
क्रोध नहीं शांत रहने का समय आ गया
बच्चों को व्यवस्थित और खुश रखने का समय आ गया
अपनी सत्ता छोड दूसरों को देने का समय आ गया
अब तो पचास वसंत देख चुके
पतझड देखने का समय आ गया
अपने ही शरीर से स्वयं लडने का और समझाने का समय आ गया
जिम्मेदारी को छोडने का समय आ गया
पर मन तो वही है
कुछ छोडना नहीं चाहता
बचपन फिर से लगता है लौट आ रहा है
फिर से जीने का समय आ गया
पचास के बाद दूसरी पारी खेलने का समय आ गया
फिर से शुरूवात करनी है
और दूसरी पारी और धमाकेदार करनी है

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