Thursday 28 June 2018

गोवर्धन धारण

"गोवर्धन" धारण !!!

भगवान् ने गोवर्धन पर्वत अपनी कनिष्ठा (हाँथ की अंतिम उँगली) के नख पर उठाया था। कनिष्ठा शरीर का सबसे कमजोर सजीव हिस्सा है और उसके भी निर्जीव हिस्से (नख) पर धारण किया था। गोपों ने अपनी-अपनी लाठी/डंडे गोवर्धन पर्वत के नीचे लगा कर कहा कि हमने अपने-अपने लाठी/डंडों से गोवर्धन पर्वत को रोक रखा है।भगवान् मंद-मंद मुस्कुराए।

आप विचार करें तो पाएँगे कि कनिष्ठा सरलता से ऊपर की ओर सीधी नहीं होती है। दूसरे, सभी उँगलियों के नखों में कनिष्ठा का नख सबसे कमजोर है। भारी वस्तु/पदार्थ को हमारे द्वारा इस प्रकार से उठाना तो असंभव ही है। यदि हम हल्की से हल्की और छोटी से छोटी वस्तु/पदार्थ को कनिष्ठा के नख पर उठाने का प्रयास करें तो उसे भी असंभव ही पाएँगे।

गोवर्धन पर्वत "संसार" का द्योतक है। भगवान् हमें संदेश दे रहे हैं कि उन्होंने संपूर्ण संसार को सरलता और सहजता के साथ धारण कर रखा है और संपूर्ण संसार के सभी प्राणी उनके ही द्वारा रक्षित हैं। संसार भ्रमित है - जो गोपों द्वारा गोवर्धन पर्वत को लाठी/डंडे से रोक सकने के समान ये समझ रहे हैं कि संसार हम मनुष्यों द्वारा ही रक्षित है।

प्राणीमात्र को अहंकारवश यह प्रतीत हो रहा है कि अत्यंत सरल, सहज, कठिन बल्कि सभी कार्य उसके द्वारा ही संपन्न हो रहा है। कनिष्ठा की नख पर किसी भी प्रकार के भार को हमारे द्वारा न उठा सकने के समान, सत्य - पूर्वोक्त वाक्य के विपरीत है।

जय श्री कृष्ण !!    COPY PESY

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