Tuesday 29 September 2020

अपने आप में खुश रहें

सब कुछ है
तब भी खुश नहीं
आखिर ऐसा क्यों होता है
आदमी स्वयं से नाराज रहता है
खुशियाँ जमाने में तलाशता है
जमाना है कि खुश रहने देता नहीं
हर चाल को उल्टा बताता है
हर राह में रोड़े अटकाता है
हर बात में मीन मेख निकालता है
उसका अगर सुन लिया
तब तो खुशी आपसे कोसों दूर
अपने मन की सुने
अपनी दिल की सुने
आपका दिल जो चाहता है
वह करें
अपने लिए भी जीए
खुलकर हंसते रहिए
गम को दूर भगाओ
गमगीन होकर क्या हासिल
सहानुभूति
ऐसी सहानुभूति को ठेंगा
ऐसा करो लोग देखे
ईर्ष्या करें करने दो
आप खुश रहो
यह अधिकार है आपका
किसी की बातों से
किसी के कारण छोड़ना
यह तो आप अपना ही अपमान कर रहें हैं
जिंदगी को शर्मसार कर रहे हैं
गर्व से सर उठा कर चलें
अपने आप में खुश रहें

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