आज बस कुछ नहीं सुनना है
कुछ नहीं कहना है
न किसी का संग न किसी का साथ
बस रहना अकेला है
छोड़ो मुझे मेरे हाल पर
तंग आ गई दुनिया के झमेलो से
बहुत कुछ किया
बहुत कुछ सहा
अब सब छोड़ना है
बस रहना अकेला है
बडी बेरहम दुनिया
इसमें इसका भी कोई नहीं कसूर
ऐसी ही वृत्ति होगी
तभी टिक पाना होगा आसान
नहीं तो चकरघिन्नी काटते - काटते सब तमाम
तमाशा बन जाएंगे
तमाशा देखने वाले सिक्का उछालेगे
सिक्के की खनखनाहट में सब दब जाएंगा
मायूस सा देखते रह जाएंगे
सिसकते रह जाएंगे
समय रहते नहीं चेता
तब नहीं बचेगा कुछ भी
छोड़ झमेले को
आगे बढ चलो
अपने बारे में सोचो
बस अपने बारे में
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Thursday 31 December 2020
अपने बारे में सोचो
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment