Thursday 31 December 2020

अपने बारे में सोचो

आज बस कुछ नहीं सुनना है
कुछ नहीं कहना है
न किसी का संग न किसी का साथ
बस रहना अकेला है
छोड़ो मुझे मेरे हाल पर
तंग आ गई दुनिया के झमेलो से
बहुत कुछ किया
बहुत कुछ सहा
अब सब छोड़ना है
बस रहना अकेला है
बडी बेरहम दुनिया
इसमें इसका भी कोई नहीं कसूर
ऐसी ही वृत्ति होगी
तभी टिक पाना होगा आसान
नहीं तो चकरघिन्नी काटते - काटते सब तमाम
तमाशा बन जाएंगे
तमाशा देखने वाले सिक्का उछालेगे
सिक्के की खनखनाहट में सब दब जाएंगा
मायूस सा देखते रह जाएंगे
सिसकते रह जाएंगे
समय रहते नहीं चेता
तब नहीं बचेगा कुछ भी
छोड़ झमेले को
आगे बढ चलो
अपने बारे में सोचो
बस अपने बारे में

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