Friday 4 June 2021

जीवन तो एक बहती नदी है

जीवन तो एक बहती नदी है
हम उसके किनारे खडे  सोच रहे हैं
क्या करें  क्या न करें
अंदर उतरे या न उतरे
बीच में  जाएं या न जाएं
अपना पात्र आधा भरे
पूरा भरे
बडा पात्र हो
छोटा पात्र
यह तो आप पर निर्भर है
आप कितना जल भरे
अपनी सामर्थ्य को जानना है
जी भर जल उलीचना  है
जीवन है
केवल सोचने से कुछ  नहीं  होगा
उतरना तो पडेगा गहरे जल में
    जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ
मैं  बपुरा  बूडन  डरा  , रहा किनारे बैठ

No comments:

Post a Comment