Monday 28 June 2021

काम न काज

मैं काम क्यों करूँ
जब दाल - रोटी का जुगाड़ हो ही जाता है
खेत में मेहनत करूँ
पसीना बहाऊ
थोड़े से अनाज के  लिए
वह तो बटाई से हासिल
राशन के कोटे से भी सस्ता अनाज
एक - दो रूपए किलो
दवा - दारू के लिए अस्पताल हैं ही
न जाने कितनी सरकारी योजना
संयुक्त परिवार है कहने के लिए
सबका अलग-अलग दिखा फायदा लिया जाता है
मनरेगा में भी फावडा कुदाल  के साथ फोटों खिंचा लिया
अब इतना सब है
तब खेत - खलिहान में काम क्यों किया जाएं
मस्त हो खाया जाएं
मोटरसाइकिल पर घूमा जाएं
मोबाइल चलाया जाएं
नये - नये कपड़े पहन इठलाया जाएं
भला हो सरकार का जिसकी कृपा बरस रही है।
वह कहावत अब मायने नहीं रखती
काम न काज का
      दुश्मन अनाज का ।
    

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