Saturday 21 August 2021

कुछ समय तो जी भर कर जी लो

हम दौड़ते रहे
भागते रहे
बस जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए
एक सुख की चाहत के लिए
हमारे पास भी सब कुछ हो
हम साथ-साथ रहें
हंसे खिलखिलाएं
एक अदद घर हो जिसमें सब समाएं
घर तो हो गया
सपने भी पूरे हुए
विडम्बना यह रही
जिसके साथ जिसके लिए सपने देखे थे
वे दूर - दूर हो गए
एक नया आशियाना बसाने के लिए

पीछे मुड़कर देखा
जिंदगी हंस रही है
सवाल कर रही है
व्यंग्य कर रही है
कम से कम मुझे ही जी भर कर जी लिया होता
अपनों को छोड़कर कुछ अपने लिए भी सोच लिया होता
अब तो तुम, तुम न रहे
न वह , वह रहें
न अपनी कदर की
न मेरी कदर की
जब होश आया तब पता चला
मैं भी वैसी नहीं रहीं
न तुम वैसे रहें
अब तो उम्र का तकाजा है
किसी तरह जीना है
हाथ - पैर चलाना है
मैं तो मरते दम तक साथ हूँ
सांस के साथ जुड़ी हूँ
अब भी कुछ सोच लो
बचा हुआ समय तो जी भर जी लो

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