Friday 29 April 2022

शिकायत

आज की पीढ़ी को कितनी शिकायत 
यह नहीं तो वह नहीं 
जितना मिला वही बहुत था
किसी को वह भी नसीब नहीं 
टाट पर बैठकर पढाई की
जमीन पर गद्दे बिछाकर सोये
घर का खाना खाया
रोटी बासी हो या ताजी
कभी फर्क नहीं पडत
मीलों पैदल चले
कभी थके नहीं 
न बढिया खिलौने मिले न कोई गेम 
तब भी कोई शिकायत नहीं 
सबकी डांट खाई 
सबकी मार खाई
तब भी हंसते रहें 
कुछ नहीं बुरा लगा
शिक्षक से या फिर घर से
अपनी गलती छुपाकर रखी
ऐसा कुछ नहीं कि पैरेन्टस को तकलीफ हो
उनकी परेशानी समझते थे
उनकी सीमा समझते थे
उनकी हैसियत से ज्यादा कुछ मांगा नहीं 
अपने जन्म दाता  का मन से आदर किया
उनकी हर परेशानी अपनी परेशानी 
यही हमारा जीवन रहा
कभी उससे कोई शिकायत नहीं 

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