Saturday 9 April 2022

माँ

धूप में छाया
तूफान में किनारा 
बारिश में आधार
ठंड में गर्माहट 
नीला आकाश सी छत्रछाया
धरती सी धीरता
सब मिलता है 
माँ  के आँचल में 
धरती और आकाश के मध्य 
भाग्य और कर्म के मध्य 
ढाल बनती है वह
कहीं कोई हिचकिचाहट नहीं 
कहीं कोई परमीशन नहीं 
बस आंचल में छुप जाओ
वह सारे दुख दर्द भूल गले लगा लेगी 
ऊपर परमात्मा 
नीचे माँ 
यह दोनों का साथ
जब हो तब
क्या हो गम

No comments:

Post a Comment