Sunday 22 May 2022

न्याय तो सबके साथ हो

ये मेरा देश कहाँ जा रहा है
कहीं धर्म के बंधन हैं 
कहीं जाति के बंधन
कल तक पिछड़ी कही जाने वाली जातियां 
आज सर उठाकर विद्रोह दर्शा रही है
तो अगडी कही जाने वाली मजाक का पात्र बन रही है
किसके साथ न्याय और किसके साथ अन्याय?? 
तब तुम्हारा वक्त था तो आज हमारा है
यहीं तो  सबसे बडी विसंगति है
बदला की भावना 
ईष्या की भावना 
नीचा दिखाने की भावना
सब लोग एक - दूसरे से होड में लगे हैं 
यह तो प्रजातंत्र की प्रकृति के लिए अच्छा नहीं है
न्याय तो सबके साथ हो

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