Sunday 5 June 2022

दिल जो चाहे

जो दिल करता है वह करों
कुछ भी संकोच मत करो
हंसना चाहता है
जी भर कर हंस लो
अकेले में या लोगों के संग
क्या फर्क पडता है
रोना चाहते हो 
जी भर कर रो लो
अकेले में या किसी के सामने
या तकिए के आगोश में
क्या फर्क पड़ता है
गुस्सा आता है आने दो
आएगा तूफान की तरह
फिर शांत हो जाएंगा
कुछ तोड़ फोड़ हो जाएं
मन को सुकून मिल जाएंगा
थोड़ा नुकसान ही सही
दिल की भडास तो निकल जाएंगी
जब किसी को ठेस नहीं पहुंचा
तो क्या फर्क पडता है
जब जवाब देना हो
तब दे दो
दबो नहीं
ज्यादा से ज्यादा क्या होगा
नाराज हो जाएंगे
स्वयं के मन से मलाल तो गायब हो जाएंगा
कोई बोले या न बोले
क्या फर्क पड़ता है
कोई हमारा खर्चा तो नहीं चलाता
जहाँ ना कहना है
वहाँ ना कहो
मन मारकर जबरदस्ती हाॅ नहीं करना है
विरोध करना है विरोध करो
किसी की हर बात में हाॅ में हाॅ नहीं मिलाना है
न दबना है
न सहना है
न गलत को बर्दाश्त करना है
न जी हुजूरी करनी है
अपनी मर्जी से जीना है
कोई रूठे अपनी बला से
क्या फर्क पड़ता है

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