Thursday 15 September 2022

प्यार कैसा हो

प्यार में सब कुछ छूट जाता है
कुछ नहीं दिखता
बस प्यार ही प्यार 
प्यार अंधा तो होता ही है
गूँगा- बहरा भी होता है
न कुछ सुनता है न कुछ देखता है
प्यार की रीति निराली 
निभ जाएं तो आ जाएं जिंदगी में बहार
साथ - साथ जीने मरने की कसमे खाते है
साथी का साथ मिल जाएं तो सब मिल जाता है
दिल से दिल मिल जाता है
प्यार तो सोच कर नहीं किया जाता
बस हो जाता है
प्यार ऊंच नीच , अमीर गरीब नहीं देखता
तब प्यार को भी जी जान से निभाना होगा 
यह एक तरफा नहीं दोनों तरफ से हो
किसी को बदलना नहीं है न स्वयं को बदलना है
जो जैसा है उसी रूप में स्वीकार 
यह जबरन लादा न हो
न झूठ का लबादा ओढे हो
ईमानदारी और सच्चाई हो
पूर्ण समर्पण हो
सम्मान की भावना हो
एहसान नहीं अधिकार की भावना हो
इच्छा का सम्मान हो
तब ही वह टिकता है
प्यार  छोड़ता नहीं जोड़ता है
बेबसी और मजबूरी प्यार नहीं होता
जहाँ सब को छोड़ना पडे वह कैसा प्यार
प्यार क्षमा सिखाता है घृणा नहीं 
जब मन में प्यार हिलोरे ले रहा हो
तब सब सारा वातावरण भी प्रेममय हो जाता है
प्रेम भटकता नहीं उसे भी स्थायित्व चाहिए 
एक नाम चाहिए 
उसमें हिचकिचाहट कैसी
जहाँ स्वार्थ हो वहां प्यार नहीं 
 



No comments:

Post a Comment