Sunday 23 April 2023

परिवर्तन अवश्यभांवी है

बच्चे चले गए 
हम अकेले रह गए 
किसी दूसरे शहर में 
किसी दूसरे देश में 
किसी दूसरे राज्य में 
हमें क्यों लगता है 
यह गलत है
क्या हम भी तो यही नहीं चाह रहे थे
बच्चे आगे बढे
सर्वागीण विकास करें 
कहीं न कहीं हमारे मन में भी
उनके बच्चे विदेश में 
हमारे क्यों नहीं??
बुरा क्या है
वक्त की मांग है
कब तक सीने से चिपटाकर रखेंगे 
जन्म दिया है 
कोई कर्जा नहीं 
जिसकी वे भरपाई करें 
पंख हमने दिया है उडान उनकी हो
हम देखे उडते हुए 
मजबूरी हमारी है 
मजबूरी उनकी भी है
यह समझना पडेगा 
संज्ञान सबको लेना पडेगा
प्यार की जंजीरों में जकड 
इमोशनल ब्लेक मेल कर
समाज की चिंता कर
राह में रोड़े  बने
यह तो न्यायोचित नहीं 
हमने भी तो कभी अपना गाँव- घर छोडा था
तभी तो आज इस मुकाम पर हैं
किसी भी चीज से बंधे रहना
वह घर हो शहर हो गाँव हो राज्य हो देश हो
परिवार हो दोस्त हो पडोसी हो
भाई- बहन हो माँ- बाप हो , बच्चे हो
कब तक पकड़ कर रहेंगे 
सृष्टि का नियम है
परिवर्तन अवश्यभांवी है 
बस प्रेम और विश्वास हो
अपनों की जिम्मेदारी का एहसास हो
तब भी ठीक है
एक छत के नीचे न सही
दिलों में दूरी न हो
सुख - दुख में उपस्थिति हो
क्या इस नये विकास के युग में इतना ही पर्याप्त नहीं  ।

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