Friday 12 January 2024

कभी तो गिरेगा

ईंटें जोड़ जोड़ कर हमने घर बनाया
उसमें सीमेंट और गारा लगाया 
लोहे के सरिया डाल मजबूत बनाया
अपना खून - पसीने की कमाई लगाया
घंटों खडे रह घर का निर्माण करवाया
घर देख हम खुश होते थे
चलो अपना तो है
एक दिन देखा कुछ ईंटे दरकने लगी है
हम सोचते थे 
अभी तो कुछ नहीं बिगड़ा है
मजबूत है
लेकिन नहीं 
गलतफहमी में थे 
ईंटे नहीं दरके  थे
मन में दरार पडी थी
कुछ इच्छाए बलवती हो रही थी
जब दरार पडती है
जब ईट दरकती है
तब वह घर ज्यादा समय तक टिक नहीं पाता
कब तक कोई संभालेगा 
अति की भी अति होती है 
मकान तो गिरना ही था
गिरा भले न हो
खंडहर तो हो ही चुका है 
बस गिरना बाकी है ।

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