Saturday 6 January 2024

बस्ता और बाबूजी

याद आते हैं वे दिन
बचपन और बस्ता का साथ
जब बाबूजी बस्ता उठाएं अपने कंधों पर
मैं हाथ पकड़ उछलती- कूदती चलती साथ में 
बचपन पर बोझ न लादे
मेरा बस्ता बाबूजी ने उठाया  मैंने अपने बच्चों का
अब मेरे बच्चे अपने बच्चों का
यह तो भार नहीं प्यार है 
यही सब बातें तो जेहन में आज भी याद है

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