Wednesday 7 February 2024

राह के मुसाफिर

हम रहें या न रहें 
तुम रहो या न रहो
कोई रहें या न रहें 
फर्क नहीं पडता
संसार चलता रहेगा
यह न रूका है ना रूकेगा
कुछ क्षण के लिए भी नहीं 
यह तो इसके लिए सामान्य बात है
आना - जाना लगा रहता है दुनिया के मेले में 
हमको लगता है कि
हमारे बिना काम कैसे चलेगा
चलेगा और चलता रहेगा
प्रकृति का नियम है
यहाँ अमरता का वरदान किसी को नहीं 
स्थायी का भी ठिकाना नहीं 
आज यह तो कल वह 
जो जमीन पर वह आसमान पर 
जो आसमान पर वह जमीन पर

पल में प्रलय होय है 
सांसों का ठिकाना नहीं 
लाख जतन कर लो
होगा वहीं जो होना है
जी लो फिर कल की चिंता छोड़ 
मुसाफिर हो आए हो
एक दिन जाओगे 
राह तो वही रहेगी 
तुम्हारे बाद भी उस पर लोग चलते रहेंगे 

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