Monday 13 May 2024

मेरी आदत में शुमार

रण सज चुका है
चारों ओर से घिर गया हूँ 
चक्रव्यूह तैयार हो चुका है
मुझे पता है
मैं अकेला हूँ 
मुझे कोई बचाने आने वाला नहीं है
अपनी लडाई खुद लडनी है 
चक्रव्यूह से बाहर निकलना है
हार तो मैं मानूँगा नहीं 
मुकाबला तो डट कर करना है
देखें क्या होता है
जीत हुई नहीं उससे पहले हार मान लेना
युद्ध का मैदान छोड़ भाग जाना
यह मुझे नहीं सिखाया गया 
नित संघर्षों का सामना करना 
अपनी राह बना लेना 
यह तो मेरी आदत में शुमार 

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