Friday 15 March 2024

क्या शिकवा - शिकायत

शिकायत भी किससे करें जनाब
पहले तो लगता था 
सब मेरे अपने हैं 
मेरे लिए हमेशा तैयार रहेंगे 
हर वक्त और परिस्थिति में साथ रहेंगे 
गलतफहमी में था जनाब
कहने को अपने जरूर
पर हिसाब-किताब में माहिर 
उन्होंने रिश्तों को नफा - नुकसान में तोला 
वो व्यापार कर रहे थे
मैं रिश्ता निभा रहा था
वे चालाकी कर रहे थे
मैं भावना में वशीभूत था 
दिल और दिमाग दोनों चल रहा था
मेरा दिल उनका दिमाग 
कहीं न कहीं दिमाग बाजी मार ले गया
दिल बेचारा मसोसकर रह गया 
अब पछता रहा है 
उसका क्या लाभ 
जब समय ही चला गया तो सब गया
हम हाथ मलते रह गए वे बाजी मार ले गए। 

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